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किसान भाई इस तरह करें अमरूद की खेती, पौधे में नहीं लगेंगे कोई भी रोग, पैदावार होगी छपर फाड़

ड्रिप सिंचाई में फसलों की जड़ों तक पानी बूंद-बूंद के रूप में पहुंचता है। यह तकनीक विशेष रूप से उन इलाकों के लिए फायदेमंद है जहां पानी की कमी है। किसान जैविक खाद को भी पानी में घोलकर पाइप के जरिए सीधे पौधों तक पहुंचा रहे हैं।

उत्तर प्रदेश के फर्रुखाबाद जिले में किसानों ने अपनी खेती के लिए एक नई तकनीक को अपनाया है जो उन्हें फसल उत्पादन में शानदार परिणाम दे रही है। ड्रिप सिंचाई, जिसे ‘बूँद-बूँद सिंचाई’ भी कहा जाता है अब किसानों के लिए वरदान साबित हो रही है। पारंपरिक सिंचाई की तुलना में यह तकनीक न केवल पानी की बचत करती है बल्कि फसलों की गुणवत्ता में भी सुधार करती है। जिले में पानी की कमी लंबे समय से एक बड़ी समस्या रही है लेकिन ड्रिप सिंचाई ने इस चुनौती को काफी हद तक आसान बना दिया है।

ड्रिप सिंचाई से पानी और लागत दोनों की बचत

ड्रिप सिंचाई में फसलों की जड़ों तक पानी बूंद-बूंद के रूप में पहुंचता है। यह तकनीक विशेष रूप से उन इलाकों के लिए फायदेमंद है जहां पानी की कमी है। किसान जैविक खाद को भी पानी में घोलकर पाइप के जरिए सीधे पौधों तक पहुंचा रहे हैं। इससे मिट्टी की उर्वरता बढ़ती है और फसल में रोग लगने की समस्या कम हो रही है।

नारायणपुर गढ़िया गांव के किसान बताते हैं कि पारंपरिक सिंचाई के दौरान पानी की अधिक खपत से पौधों को नुकसान होता था और बीमारियां बढ़ जाती थीं। इससे फसल उत्पादन पर नकारात्मक प्रभाव पड़ता था। लेकिन अब ड्रिप सिंचाई के जरिए पौधों को आवश्यकतानुसार पानी मिलता है जिससे फसल स्वस्थ रहती है।

कम लागत में बेहतर फसल उत्पादन

ड्रिप सिंचाई से खेत में घास कम उगती है जिससे खरपतवार नियंत्रण के लिए रसायनों का इस्तेमाल भी घटा है। इससे किसानों की लागत में कमी आई है। इसके अलावा इस तकनीक के कारण उत्पादन अधिक हो रहा है और फसल का बाजार मूल्य भी बेहतर मिल रहा है।

किन फसलों के लिए उपयोगी है ड्रिप सिंचाई?

फर्रुखाबाद के किसान अब अपने खेतों में टमाटर, खीरा, बैंगन, मूंगफली, प्याज, गन्ना, तरबूज, गुलाब, संतरा, पपीता और केले जैसी फसलों की खेती ड्रिप सिंचाई के जरिए कर रहे हैं। इस विधि से फसलें न केवल बेहतर गुणवत्ता वाली होती हैं बल्कि उनका उत्पादन भी बढ़ जाता है।

मिट्टी की उर्वरता में सुधार

ड्रिप सिंचाई से मिट्टी में नमी बनाए रखने में मदद मिलती है। यह तकनीक वाष्पीकरण को कम करती है जिससे पानी की बर्बादी नहीं होती। साथ ही मिट्टी की उर्वरता में भी सुधार होता है। किसान बताते हैं कि ड्रिप सिंचाई के कारण उनके खेतों में मिट्टी की गुणवत्ता काफी बेहतर हो गई है।

यूट्यूब से सीखी तकनीक, खुद किया अमल

फर्रुखाबाद के किसान इस नई तकनीक को अपनाने के लिए पहले यूट्यूब पर वीडियो देखकर इसे समझते हैं। इसके बाद वे बाजार से जरूरी उपकरण खरीदते हैं और अपने खेतों में इसका इस्तेमाल शुरू करते हैं। ड्रिप सिंचाई को अपनाने वाले किसान अब अपने अनुभवों को दूसरे किसानों के साथ भी साझा कर रहे हैं। वे बताते हैं कि पारंपरिक सिंचाई की तुलना में यह तकनीक बेहद किफायती और लाभदायक है।

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